RISE FOR INDIA
Editor's Pick Rising Stories Society

ना ज्ञान, ना मैदान, फिर भी एथलेटिक्स में बनाई पहचान

चंद्रपुर जिला मुख्यालय से कोसों दूर चिमूर तहसिल का दुर्गम गांव है महादवाडी। आबादी लगभग ८५०। यहां की अनपढ़ और उम्रदराज महिलाओं ने मैदानी खेल में ऐसी एंट्री की कि अमीर खान को भी ‘सत्यमेव जयते’ में उनका संज्ञान लेना पडा। ३५ वर्ष से अधिक उम्र की यह महिलाएं पारंपारिक महाराष्ट्रियन ग्रामीण ‘लुगडा’ पहन कर तो कभी फुलपैन्ट पहन कर जब मैदान में आती है तब देखनेवाले दंग रह जाते है। महादवाडी गांव को अपने हुनर और खेलप्रतिभा से पहचान दिलानेवाली महिलाओं ने नैशनल वेटरन्स एथलेटिक्स में कई इनाम अपने नाम किये है।

प्रारंभ में यहां रमाबाई महिला मंडल था। इसके माध्यम से सामाजिक कार्य होते थे। गांव छोटा होने के कारण यहां जातिभेद भी अधिक रहा। महिलाएं खेत में एक-दूसरे का भोजन नहीं खाती थी। ऐसे हालात में दलित महिलाओं ने स्वयं श्रमदान कर गांव में कुआं खोदा। स्वयंप्रेरणा से गांव की सडक के दोनों ओर पेड लगा कर हरियाली और छांव लायी। यहीं नहीं गंदगीमूक्ति का नारा भी बुलंद किया। इस गांव में ना कोई नेता है ना कोई ओछी राजनीति होती है। दलित महिलाओं ने ही सामने आकर जातिभेद की दीवारों को तोडने का काम किया है। यहीं वजह है कि १९९२ में समाजसेवी अण्णा हजारे ने महादवाडी गांव को आदर्श ग्राम के लिए चुना। १९९४ में तत्कालिन राज्यपाल को भी इस गांव से भेट करने से स्वयं को रोक नहीं पाए थे।

पारखी ने तराशे हीरे

 Mahadwadi Veteran Women Sports Association
पत्थरों के भीतर छुपे हीरे की तलाश करने के लिए एक जौहरी की पारखी नजर जरुरी होती है। महादवाडी के मूलनिवासी और वेकोली नागपुर मुख्यालय में अधिक्षक अभियंता रहे समाजसेवी संपत रामटेके ने अपने गांव की महिलाओं की प्रतिभा को तराशा और देश के सामने लाया। दरअसल हुआ यू कि १९९४ में नागपुर में वेटरन महिला-पुरुषों की खेल स्पर्धाएं हुई थी। रामटेके ने यह देखी। उन्हे अपने गांव की महिलाएं याद आयी। उन्होने तब तक महिलाओं में आपसी भाईचारा बढा दिया था। बस खेल के लिए राजी करना बाकी रह गया था। शुरुआत में ना-नुकूर हुई। मजाक उडाया गया। डाक्टर बेटी और अभियंता बेटे के पिता रामटेके ने हार नहीं मानी। महिलाओं को प्रेरित कर राजी कर लिया।

४ गोल्ड मेडलों से हुई शुरुआत

Veteran Athlete Championship
फिर पहला मौका आया जब १९९५ में नागपुर में विदर्भ वेटरन्स एथलेटिक्स एसोसिएशन की विविध खेल स्पर्धाएं हुई। इसमें दौड, पैदल चलना, भालाफेंक, लंबी छलांग में रमाबाई महिला मंडल की वर्षा रामटेके (४४),जयवंता रामटेके (६५), आशा खोब्रागडे (५५),लयना रामटेके (७४),फुलन मेश्राम(६९), प्रभा रामटेके (६५),पंचफुला रामटेके (५३), शशिकला रामटेके (५९), वनमाला गोंगले(४३), रसिका गणवीर (५९) महिलाओं ने हिस्सा लिया। ४ गोल्ड के साथ कुल १२ पदक चटके।  पहले वर्ष केवल दलित महिलाओं ने शिरकत की थी। बाद में अन्य समाज की शारदा भागडे (४५), धुरपता कोरांग (६४), सुमन लेनगुरे(५९), वनिता गुरनूले (५४), सरस्वता लेनगुरे (६०), सुगंधा निकेसर (४२), वनिता महाडोरे (४२), अनुसया चौधरी (६५), आशा कोरांगे (४४), निंबुनाबाई भागडे(६४), चिंधाबाई गायकी (६४), तुलसा नन्नावरे (६५), भी महिलाएं जुडी। इस तरह से १० से बढ कर इन महिला खिलाडियों की संख्या २४ पर पहुंची। इन्ही महिलाओं ने ४ बार नैशनल वेटरन्स एथलेटिक्स में १३ गोल्ड के साथ ४२ मेडल जीते।  १९९८ में श्रीलंका और जापान में आयोजित अंतरराष्ट्रिय स्पर्धा के लिए १० खिलाडी चुनी गयी, आर्थिक सहायता के अभाव में वंचित रह गयी।

‘सत्यमेव जयते’ में अमीर ने सराहा

Sayame Jayate Recognition
मई २०१३ में ही ‘सत्यमेव जयते’ के लिए इन महिला खिलाडियों का शुटींग किया गया था। सीजन-२ में दिखाया नहीं गया। जून २०१४ में अभिनेता अमीर ने कहा कि पारंपारिक मराठी ग्रामीण परिधान ‘लुगडा’ में खिलाडियों का शुटींग चाहिए। धान की रोपाई के समय गीत गाते हुए गांव में ही शुटींग हुआ। इन महिलाओं ने अमीर खान के ‘सत्यमेव जयते’ में शिरकत करने पहली बार हवाई जहाज की यात्रा भी की। अमीर ने इन स्टुडियो प्रोग्राम में महिलाओं को गौरवान्वित किया। सायना नेहवाल ने भी खुब तारिफ की।

दुग्धभंडार बने महादवाडी

सरकार ने महादवाडी को दुग्ध भंडार बनाने ५५ हजार रुपयों का अनुदान दिया। ४० महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया। वह पूरा नहीं हो पाया। उधर इन महिलाओं में कई सदस्य बुजूर्ग और उम्रदराज हो चुकी है। खेति-किसानी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे में हर माह मानधन देने की व्यवस्था की जाए, ऐसा संपत रामटेके का कहना है। इन महिलाओं ने सरकार को पूरक कई समाजकार्य किये है। सिकलसेल जनजागृति की बुनियाद ही यहां महादवाडी गांव में रखी गयी थी। ऐसे में सरकार को इन महिलाओं का सम्मान कर उन्हे उचित मान और धन भी देने की मांग रामटेके ने उठाई है।

Related posts

My Encounters With Corruption – Raising voice against the everyday crime

Rise For India

He Would Have Been A Genius, If Not A Muslim: The American Islamophobia Even After 14 Years

Rise For India

Meet the man who gives birth to glaciers, the Ice Man

Rise For India

Leave a Comment